Water Parliament

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व्यवस्था के परिवर्तन में तथा रामराज्य की स्थापना में हमेशा लड़ाई की शुरुआत और अन्त आम आदमी करता है। वह आम आदमी कभी हनुमान, सुग्रीव, अंगद, जामवन्त आदि के रूप में भी हो सकता है। आज देश का सामान्य आदमी ही रामराज्य लाने में सक्षम है। राम-रावण युद्ध के दौरान देवतागण केवल जय हो ! जय हो! का उद्घोष कर रहे थे। उन्होंने यह नहीं सुनिश्चित किया था कि किसकी जय हो? राम की अथवा रावण की? वे तब भी युद्ध के दौरान राम की जय हो, बोलने में रावण की शक्ति से भयकंपित थे। इसलिए आज हमें देवताओं की भूमिका में जय हो! करने वालों की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। जब आपके कार्यों की जय होगी तो देवतागण खुद जयगान करेंगे।
हम अपने ढंग से अपने हितों के बारे में सोचें और अपनी समस्याओं का समाधान अपने ढंग से निकालें। इसकी आवश्यकता है।
 

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